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द गर्ल इन रूम 105

एक आंख से व्यूफ़ाइडर में देखते हुए कहा । 'मिल गया। एसजे।" "एसजे यानी क्या?" सौरभ ने कहा


हाफ़िज़ ने हमें ईयररिंग्स लौटा दीं।

"देखते हैं। एसजे सोना ज्वेलर्स भी हो सकता है, जो मेरे दोस्त की दुकान है। फिर हनुमान मंदिर के सामने एस. खेम सिंह ज्वलेर्स है। हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर सलाम ज्वेलर्स भी है. हाफिज ने कहा 'मुझे तो एसजे से यही

नाम याद आ रहे हैं।"

सौरभ ने जेब से वो लिस्ट निकाल ली, जो निज़ाम ने हमें दी थी।

"और भी हैं। लाल चौक में शबनम ज्वेलर्स श्रीनगर-लदाख हाईवे पर शौकत ज्वेलर्स, उसने लिस्ट पड़ते 'आपको गुड लक। अगर आपको कोई दुकान नहीं मिलती है तो आपकी मदद के लिए हम तो यहां बैठे ही

हुए कहा।

हैं, " हाफ़िज़ ने कहा और मुस्करा दिए।

'नहीं, यह सोना ज्वेलर्स के यहां की चीज़ नहीं है,' दुकान के मालिक ने ईयररिंग्स को देखते ही कह दिया।

'ये हमारी दुकान की नहीं है, ' शवनम ज्वेलर्स पर हिजाब पहने एक सेल्सगर्ल ने कहा । इसी तरह एसजे इनिशियल्स वाली चार और दुकानों ने हमें एक ही दिन में ना कह दिया।

रहे थे। 'तीन और एसजे बचे हैं, ' सौरभ ने कहा। हम सड़क किनारे एक चाय की दुकान पर चाय के साथ टोस्ट खा ‘बेल, अब ये आख़री कोशिश है। इसके बाद दिल्ली की फ़्लाइट बुक कराने के अलावा कोई और रास्ता नहीं

रह जाएगा, मैंने कहा।

'हम बस इतना ही जानना चाहते हैं कि क्या ये ईयररिंग्स आपकी दुकान पर बनाई गई हैं, ' मैंने शौकत ज्वेलर्स के

मालिक को झुमकियां दिखाते हुए कहा। वह काउंटर के पीछे पैरों को मोड़कर बैठा था। गहनों से भरी दुकान तेज रौशनी में दमक रही थी।

सबसे बेहतरीन काम है।"

हैरान रह गया।

"क्या हुआ?' उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा 'मैं शौकत हूँ।'

"ये?' दुकानदार ने ईयररिंग्स पर अपनी उंगलियां घुमाते हुए कहा 'हां, बिलकुल, ये शीकत ज्वेलर्स का चार दिन की दौड़धूप के बाद हां शब्द सुनते ही मैं लगभग वहीं चक्कर खाकर गिर पड़ा। इससे दुकानदार

मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, 'मैं आपको बता नहीं सकता, आपसे मिलकर मुझे कितनी ख़ुशी हो रही ।' वह हंस दिया। है

"ये तो मेरे लिए खुशी की बात है। आपको और ज्वेलरी चाहिए? आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं।' उसने हमें एक कप कहवा पिलाया, जो कि इस दिन का हमारा छठा रूप था। फिर उसने झुमकियों को निहारते हुए कहा, 'जरा यह काम तो देखो आलातरीन।"

'ये आपने किसके लिए बनाई थीं?" मैंने कहा। शौकत ने मेरी तरफ़ हैरत से देखा।

मैं समझा नहीं। तो क्या ये झुमकियां आपकी नहीं हैं?" ये हमारी एक दोस्त की है, जो अब इस दुनिया में नहीं है, मैंने कहा।

शौकत ने दाएं हाथ से अपने कानों की लवों को छुआ और मन ही मन दुआ बुदबुदाई।

"मुझे सुनकर बहुत अफसोस हुआ क्या हुआ था उन्हें?"

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